लेखनी ,# कहानीकार प्रतियोगिता # -01-Jul-2023 मेरा बाप मेरा दुश्मन भाग 4
मेरा बाप मेरा दुश्मन (भाग 4 )
अब तक आपने पिछले तीन भागौ में पढ़ा कि किस तरह रमला के मम्मी पापा तान्या व विशाल ने प्यार किया। जब उन दोंनौ को यह महसूस हुआ कि उनके घर परिवार वाले उन दोंनौ के प्यार को मन्जूरी नहीं देने वाले तब वह भागकर मुम्बई पहुँच गये। वह वहाँ अपने दोस्त के पास रुके। विशाल के दोस्त ने ही उन दोंनौ की शादीञके लिए पंडित जी से बात करके शादी का इंतजाम करवाया। अब आगे की कहानी;-
जब तान्या व विशाल की शादी होरही थी उस समय तान्या के मन अनेक प्रकार के विचार आरहे थे।
वह सोच रही थी कि उसने अपने मन में क्या क्या सपने संजोये थे। बारात आयेगी। दूल्हा घोडी़पर चढ़कर लेने आयेगा। बैन्ड पर गाना बजरहा होगा " मेरा महबूब आया है।" बाराती नाच नाच कर धूंम मचायेंगे।।
लेकिन यहाँ तो न कोई बाराती है न कोई बैन्ड बाजा है। न कोई गाना बज रहा है । सब कुछ उल्टा होगया। सभी सपने टूट कर बिखर गये। उसकी सहेलियां उसको चिड़ायेगी कि तेरा दूल्हा ऐसा है बैसा है। लेकिन यहाँ तो कुछ भी नहीं है। सब वक्त की बात है।
माता पिता बेटी का कन्यादान करते थे। यहाँ स्वयं ही बाराती है और स्वयं ही आशीर्वाद देने वाले है । इसे कहते है तकदीर। भाग्य के लिखे को कोई नहीं मिटा सकता है।
तान्या को अपनी सहेली की शादी की याद आगयी। उस शादी में कितनी मस्ती आई थी। सभी सहेलियौ ने मिलकर बारात में आये दूल्हे के दोस्तौ को खूब परेशान किया था।
सालियौ द्वारा जूता चुराने की रश्म पर कितना आनन्द आया था।जब जूता वापिस करने के पाँच हजार एक रुपये माँगे थे तब वह जूता छोड़कर जाने लगे थे और बोले थे कि इतने में तो नया जूता ले आयेगे।
अंत में सगुन के केवल ग्यारह रुपये लेकर जूता वापिस कर दिया था।
विशाल भी इसी तरह सोच रहाथा।लेकिन भाग्य में तो इस तरह की शादी लिखी थी। वह दूल्हा ही क्या जो घोडी़ पर नही चढ सका।
विशाल तान्या की तरह कम सोचता था।
आज सुहागरात थी उनके दोस्तौ ने ही उन दौनौ के कमरे को सजाया था।
विशाल ने जब कमरे में प्रवेश किया तो उसने देखा कि तान्या एक लम्बा सा घूँघट किऐ बैठी है। विशाल बिनाआवाज किये अन्दर पहुँच गया।
विशाल ने अन्दर पहुँच कर तान्या से पूछा," तानी ये क्या हालत बनाई है। इतना लम्बा घू़ँघट किसके लिए किया है।"
तान्या बोली," आज हमारी सुहागरात है।और सुहागरात को पत्नी घूँघट इस लिए करती है कि वह उसका पति उसको मुँह दिखाई में कोई गिफ्ट दे। आज यह घूँघट ऐसे नहीं हटेगा। "
विशाल बोला," तुम्हारा कहना सही है लेकिन दोनौ ने क्या सोचा था और क्या होगया। यह शादी कोई शादी है। आज मै तुम्हारी यह इच्छा तो पूरी करने में अस्मर्थ हूँ तुम्हारा गिफ्ट उधार रहा।"
तान्या ने अपना घूँघट हटाया और मुस्कराती हुई बोली," इतने निराश क्यौ होते हो मैं तो मजाक कर रही थी। आज इतना भावुक मत बनो। सब ठीक हो जायेगा। "
" नहीं तानी क्या ठीक हो जायेगा। जब तक कोई काम नहीं मिलजाता तब तक हमें दोस्तौ पर आश्रित रहना पडे़गा।", विशाल ने जबाब दिया।
"देखो विशाल आज यह सब भूल जाओ। आज की रात हमारी यह पहली रात है जिसके लिए कब से प्रतीक्षा थी।आज केवल प्यार की बाते हौंगी इसके अलावा सब भूल जाओ।" तान्या विशाल को समझाते हुए बोली।
विशाल ने भी उन सबबातौ को भुलाकर तान्या को अपने अंक में भरलिया और उसे प्यार करने लगा।
आज दौनौ ने पूरी रात एक दूसरे से प्यार की बाते तो की थी परन्तु हम हकीकत को कभी भी नहीं भूल सकते है।क्यौकि हकीकत हमेशा असली चेहरा याद दिलाती रहती है।
ऐसा ही विशाल व तान्या के साथ होरहा था दौनौ के चेहरे ऊपर से खुश नजर आ रहे थे परन्तु मन में अन्दर ही अन्दर वही बिचारौ का द्वन्द युद्ध चलरहा था।
दौनौ ही अपने मम्मी पापा के बिषय में सोच सोच कर परेशान थे परन्तु वह अन्दर की इस परेशानी को एक दूसरे से छिपाने की कोशिश कर रहे थे।
हम सभी की एक बात समान है कि कोई भी अच्छा काम होता है तो उसका क्रैडिट इन्सान स्वयं लेता और कोई गलत काम होजाता है तब उसके लिए ईश्वर व भाग्य को जिम्मेदार ठहराया जाता है।
विशाल के मम्मी पापा ने तो उसके जाने के बाद खोजने के लिए ज्यादा कोशिश नहीं की क्यौकि विशाल भी एक खत अपने घर छोड़ कर आया था। उनकी सोच थी कि कुछ दिन धक्के खाकर स्वयं ही घर वापिस आजायेगा क्यौकि बाहर पैसा कमाना इतना आसान नहीं है।
उन्हौने दुनिया देखी थी। अतः वह चुप होकर बैठ गये थे। परन्तु तान्या के मम्मी पापा इस कलंक को सहन नही कर सके।
उन्हौने तो घर से बाहर निकलना ही बन्द कर दिया था। वह इस बात से अधिक परेशान थे कि पूछने वालौ को वह क्या जबाब देंगे। पूछने वालौ की जवान नहीं पकडी़ जाती है।
इसी लिए दोनौ पति पत्नी ने जहर खाकर अपनी जीवनलीला ही समाप्त करली थी। उनका अंतिम संस्कार भी मुहल्ले वालौ ने मिलकर किया था।
अब विशाल अपने दोस्त से कहकर अपने लिए कोई नौकरी खोजने लगा क्यौकि इतने बडे़ शहर में वह दौनौ कितने दिन तक बोझ बनकर रह सकते थे।
कुछ समय बीतने के बाद विशाल को एक फाइनेन्स कम्पनी में नौकरी मिल गयी। एवं तान्या को एक प्राईवेट स्कूल में अध्यापिका की नौकरी मिल गयी।
इस तरह दौनौ अपने काम पर जाने लगे। अब उन दौनौ ने अपने रहने की ब्यबस्था भी अलग करली। तान्या खाली समय में छोटे बच्चौ को ट्यूशन पढा़ने लगी जिससे उसका समय भी अच्छा कट जाता था।
इस तरह दौनौ मिलकर अपना गुजारा करने लगे। किसी प्रकार की कोई कमी नही थी दौनौ को मिलाकर इतने पैसे मिलजाते थे कि दौनौ का गुजारा आसानी से होरहा था।
नोट:- कृपया आगे की कहानी अगले भाग 5 में पढ़ने का कष्ट करै। धन्यवादजी।